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लेखनी कहानी -31-Jul-2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 9


रसोई में हिमानी और उसकी माँ एक दूसरे के गले लगी हुयी थी की तभी वहा  भव्या  आ  पहुंची  और बोली " वाह भई यहाँ तो भरत मिलाप चल  रहा  है  हमें भी कोई शामिल  करले  इस मिलाप में हम  भी  थोड़ा भावुक  हो जाए या हमें कही अस्पताल से गौद लिया है  "

"कैसी बाते कर रही है  आजा  तू भी माँ के गले लग  जा तुम दोनों तो मेरी आँखों की ठंडक हो तुम्हारे हस्ते मुस्कुराते चेहरे देख कर ही मेरे दिन का आगाज़  अच्छे से होता है  " वैशाली जी ने भव्या  को भी अपने सीने से लगाते हुए कहा


"अरे भाई आज चाय मिलेगी या नही बिटिया की बिदाई  में अभी समय है  " हरि किशन जी ने रसोई की चौखट पर आकर कहा

"अरे आप , आप  कब आये मंदिर से " वैशाली जी ने पूछा

"उसी समय  जब आप  अपनी बेटियों को सीने से लगाए  खड़ी थी " हरि किशन जी ने कहा

"कही आपको जलन तो नही हो रही की मेरी बेटियां मुझसे कितना प्यार करती  है  कि मैं उन्हें सीने से लगाए हुयी थी  " वैशाली जी ने एतराज में कहा मुस्कुराते हुए

"ये तो सब ही जानते है  कि बेटियां सबसे ज्यादा प्यार अपने पिता से ही करती है ,और मेरी बेटियां भी सबसे ज्यादा मुझसे ही प्यार करती है  हाँ अलबत्ता आज  उन्हें आप पर थोड़ा  बहुत  प्यार आया  होगा इसलिए मुझे  कोई दुख  नही " हरि किशन जी ने कहा मुस्कुराते हुए कहा

"नही मेरी बेटियां मुझसे ज्यादा प्यार करती है  " वैशाली जी ने कहा

"ख्याल  अच्छा है  आपका  लेकिन हकीकत कुछ  और है , और वो ये है  की मेरी बेटियां मुझसे  ज्यादा प्यार करती है  " हरी किशन जी ने कहा


हिमानी और भव्या उन्हें इस तरह देख  हस्ते हुए बोली क्यू ना हम  ही बता  दे कि हम  दोनों किससे सबसे ज्यादा प्यार करते है 

"हाँ, हाँ बेटा अपनी माँ की गलत फ़हमी दूर करो और बताओ  इन्हे की तुम दोनों सबसे ज्यादा मुझसे  प्यार करती हो और तुम दोनों को कैसे अपने कांधे पर बैठा  कर पूरे  केदारनाथ में घुमाता  था  बचपन में "हरि किशन जी ने कहा

"हाँ बेटा तुम ही बताओ इन्हे की तुम दोनों से सबसे ज्यादा मैं प्यार करती हूँ बताओ  इन्हे कि कैसे मैं बचपन में तुम्हे कहानियाँ सुना कर सुलाती थी  अपने पास " वैशाली जी ने कहा

"ना आप  माँ और ना ही पिताजी आप  हम  दोनों से ज्यादा प्यार करते  है " हिमानी ने कहा

"क्या मतलब कि हम  दोनों में से कोई तुम दोनों को ज्यादा प्यार नही करता  है  " वैशाली जी ने पूछा 

"माँ कहने का मतलब है  की आप दोनों का प्यार हमारे लिए समान है  हम  किसी एक की मोहब्बत को दूसरे  की मोहब्बत और स्नेह के साथ  बराबरी नही कर  सकते  आप  दोनों का प्यार हमारे लिए किसी अनमोल खजाने से कम नही है । आपका प्यार और स्नेह हमारी ताकत  है  हमें हौसला देता है  तो भला  हम  कैसे किसी एक को चुन  सकते है  आप  दोनों ही हमारी दुनिया हो कहने को तो भगवान मंदिर में वास करते है  लेकिन जिस घर में आप  जैसे माता पिता रहते हो वो घर भी किसी मंदिर से कम नही आप  दोनों हमारे  लिए  भगवान समान है  और भगवान  की मोहब्बत पर हम  कभी  भी शक नही कर  सकते  और ना उसके प्रेम को किसी और के प्रेम के साथ तोलने की कोशिश कर  सकते  है क्यूंकि ऐसा करना पाप होगा अब आप  दोनों लड़ना  बंद  कीजिये और हमें एक साथ आशीर्वाद दीजिये ताकि हम  दोनों अपनी ज़िन्दगी में खुश  और आबाद  रहे और हमारे  दिल से कभी आप  दोनों की मोहब्बत कम ना हो " हिमानी और भव्या  ने कहा


हरि किशन जी और वैशाली जी ने प्यार भरी नज़रो से एक दूसरे की तरफ देखा  और फिर  अपनी बेटियों की तरफ देखा  और उन्हें आशीर्वाद  दिया।

"हे! राम कितनी देर हो गयी  तुम लोग जाओ बाहर बैठो और मुझे नाश्ता बनाने  दो " वैशाली जी ने कहा

"चलो माँ मैं तुम्हारी मदद  कराती हूँ मुझे भी  जल्दी जाना हे  उस टूर  एंड ट्रेवल वाले के पास काम के सिलसिले में देखती हूँ शायद अभी से कुछ काम मिल जाए तो अच्छा रहेगा  वैसे सेलानी आना  शुरू  हो गए हे  और मंदिर  के कपाट भी खुलने वाले हे  बर्फ तो सारी पिघल  चुकी हे  " हिमानी ने कहा


"ठीक  हे  बेटा आराम  से जाओ ईश्वर  ने चाहा  तो कामयाबी ज़रूर मिलेगी " वैशाली जी ने कहा


थोड़ी  देर बाद हिमानी नाश्ता करके  और घर  के छोटे  मोटे काम खत्म करके  थोड़ी  ही दूर  पर  बने  माउंटेन टूर एंड ट्रेवल्स वाले की दुकान की तरफ जाने लगी ।


हिमानी ने एक मोटी शाल ओढ़ ली थी क्यूंकि ठंडी हवा चल  रही  थी काफी, चारो  और फूल  खिले  हुए  थे  बर्फ पिघल  चुकी  थी  मौसम  बेहद मनोरम था।


नमस्ते आंटी , हिमानी ने रास्ते में फल बेच  रही  एक आंटी  से कहा जो उसी की पड़ोस में रहती थी.

"नमस्ते बेटा, कहा जा रही हो इतनी जल्दी में सब  ठीक  तो हे  और पंडित जी कहा हे  उनसे कहना  मेरे बेटे के लिए  प्रार्थना करे  ताकि उसका मन पढ़ाई में लग  सके  दिन भर आवारा  गर्दी करता  रहता हे  मेरा भी  हाथ नही बटाता हे  किसी काम में, बरसात आने से पहले  घर भी मरम्मत कराना  हे  वरना  गिर जाएगा अबकी मानसून में" उस औरत  ने करुणा  भरे  स्वर में कहा


"जी आंटी  सब  ठीक  हे , ईश्वर  पर  भरोसा  रखे वो सब  ठीक  कर  देगा, मैं पिताजी से कह  दूँगी  ताकि वो आपके बेटे के लिए  भगवान के सामने उसका पढ़ाई में मन लगने की प्रार्थना करे  और वो आपके  दर्द और परेशानी को समझें  और उन्हें हल करने में आपकी मदद  करे   अच्छा आंटी  मैं चलती हूँ फिर  मुलाक़ात होगी " हिमानी ने कहा और वहा  से चल  दी


हिमानी टूर  एंड ट्रेवल्स वाले की दुकान पर पहुंची  तो वो दुकान खोल रहा  था । और खोलते  हुए बोला " अरे हिमानी बेटा तुम इतनी सुबह सब  ठीक  तो हे  पंडित जी की तबीयत  तो ठीक हे  बहुत  दिनों से मुलकात नही हुयी हे उनसे "

"जी अंकल  सब  ठीक  हे  पिताजी भी  ठीक  हे  अभी  वो घर पर ही हे  ठण्ड  भी  थी  ना इसलिए  " हिमानी ने कहा


"अच्छा चलो अंदर  आओ  मैं चाय बनाता  हूँ चाय  पीते हे  फिर  बात चीत  करते हे  " टूर एंड ट्रेवल्स वाले अंकल  सुबोध ने कहा


हिमानी अंदर चली गयी दुकान के और सुबोध जी ने सामने बने मंदिर में हाथ  जोड़े और दिया जला कर उसके बाद चाय  बनाने चले  गए  


थोड़ी देर बाद सुबोध जी दो कप  चाय  लेकर आये  और एक हिमानी को दी और एक खुद  लेकर कुर्सी पर  बैठ  गए  और सामने सोफे पर  बैठी हिमानी से बोले " हाँ, बेटा अब बताओ  कैसे आना  हुआ इतनी सुबह सुबह "


"अंकल  आप  तो जानते ही हे  कि हर साल मैं आपके  टूरिस्टो को केदारनाथ घुमाती हूँ उन्हें यहाँ से जुडी हर बात से अवगत  कराती हूँ क्यूंकि मुझे  प्यार हे  अपनी जगह से और मैं ये सब  दिल से करती हूँ ना कि सिर्फ पैसे कमाने के लालच में, मैं उन्हें हर एक चीज कि जानकारी बहुत अच्छे से देती हूँ ताकि उन्हें पता  चल  सके  की उन्होंने क्या नया  जाना केदारनाथ धाम  यात्रा के अंतर्गत  आकर  उनके चेहरे पर एक ख़ुशी होती हे  जब  मैं उनके सवालों के जवाब  सटीक देती हूँ उनके चेहरे पर  संतुष्टि साफ नज़र  आती  हे । ये बात आप  भी  अच्छी तरह जानते हे 


तो अंकल  पिछली साल की तरह इस साल भी  मुझे  आप  के साथ  ही काम करना  हे  आपका  जो कमीशन  होगा वो आप ले लेना बाकी जो पैसे बने मुझे  दे देना ताकि कुछ  मदद  हो सके  पिताजी की।" हिमानी ने कहा


सुबोध  जी ने उसकी बात ध्यान पूर्वक  सुनी और बोले " बेटा हिमानी मैं तुम्हे बहुत  सालों से जानता हूँ अब तो मेरी उम्र हो गयी  हे  कि केसा तुम बचपन से ही अपने पिता का हाथ  बटाते आ  रही हो मन में ईश्वर कि आस्था  लिए कि अपने पिता का बोझ  कम कर सको  किसी तरह, हर साल तुम अपने सारे पैसे अपने घर कि मरम्मत में लगवा देती हो कभी बर्फ बारी के बाद तो कभी बरसात  आने से पहले  ताकि तुम्हारे परिवार को कोई नुकसान ना हो किसी भी  प्राकर्तिक आपदा  से। बेटा अभी  तो कोई सेलानी नही आ  रहे  हे  और जो कोई भी  सेलानी आ  रहे  हे  उन्हें गाइड  करने के लिए  दूसरा  लड़का  हे  लेकिन जैसे ही सेलनियों की संख्या  बड़ेगी मंदिर  के कपाट खुल जाएंगे वैसे ही मैं तुमको बुला लूँगा  और अगर वो लड़का  कही गया  तो मेरे पास तुम्हारा ऑप्शन  रहेगा अच्छा हुआ जो तुम समय  रहते  आ  गयी  मैं तो समझा  इस बार तुम गाइड का काम नही करोगी  क्यूंकि तुम्हारे इस तरह के काम पर लोगो को आपत्ति थी बहुत  "


"अंकल  अगर आप  सही हे , ईश्वर में सच्ची आस्था  रखते हे  आपको सही गलत का मालूम हे  और आपके माता पिता आपके साथ  हो और आपको भी उनका मान रखना  आता  हो तो फिर  चाहे  दुनिया कुछ भी कहे  आपको उनकी परवाह किए बिना ईमानदारी से अपने कर्तव्य की और कदम बढ़ाते रहना  चाहिए । अंकल  आपका  बहुत  बहुत  शुक्रिया जैसे ही सेलानी आये  या मेरी जरूरत  पड़े  मुझे  तुरंत  बुला लेना क्यूंकि मुझे  पैसो की बहुत  ज़रुरत  हे  " हिमानी ने कहा


"ठीक  हे  बेटा तुम परेशान  ना हो ज़ेसे ही कुछ  होता हे  मैं तुम्हे बता  दूंगा  अब तुम बेफिक्र हो कर आराम  से घर जाओ और पंडित  जी को मेरा प्रणाम देना " सुबोध जी ने कहा

हिमानी उन्हें नमस्ते  कह कर  वहा  से घर की और रवाना  हो गयी  वो उदास थी लेकिन उसे  ईश्वर पर पूरा  भरोसा  था की कोई ना कोई रास्ता जरूर निकल आएगा  आज  कल  में। वो सोच  विचार  करते हुए घर आ  गयी।


दो दिन गुज़र गए लेकिन कोई अच्छी खबर नही आयी उसके काम के हवाले से।

फिर तीसरे दिन सुबोध जी खुद आये और कहा " बेटी हिमानी तुम्हे अभी और इसी वक़्त मेरे साथ चलना होगा दरअसल कुछ सेलानी आये हे लेकिन मेरा गाइड अभी यहाँ नही हे उसे दिल्ली जाना पड़ा अचानक अपनी माँ को हस्पताल लेकर नही पता वो कब वापस आये जब तक तुम इनको केदारनाथ घुमा दो "


हिमानी को तो जैसे उम्मीद की किरण मिल गयी उसने पहले ईश्वर से उस गाइड की माँ की सेहत की दुआ मांगी बाद में ईश्वर का धन्यवाद कह कर वो सुबोध जी के साथ चली गयी ख़ुशी ख़ुशी



आगे क्या होगा जानने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ

Dh

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10 Comments

Khan

03-Aug-2022 05:07 PM

Osm

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Saba Rahman

03-Aug-2022 11:54 AM

Nice

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Aniya Rahman

02-Aug-2022 11:05 PM

Nyc

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